(आयुर्वेदिक जड़ी बूटी) ayurvedic jadibuti

(आयुर्वेदिक जड़ी बूटी) ayurvedic jadibuti

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(आयुर्वेदिक जड़ी बूटी) ayurvedic jadibuti

 

(आयुर्वेदिक जड़ी बूटी) ayurvedic jadibuti
जड़ी बूटियां आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखती है आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां के उपयोग में भारत सबसे पहले है

ayurvedic jadibuti :जड़ी बूटियां आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखती है आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां के उपयोग में भारत सबसे पहले है सदियों से भारत के लोग आयुर्वेदिक मेडिसन का उपयोग कर रहे हैं आधुनिकता के दौर में लोग आयुर्वेदिक पद्धति को भूलने लगे हैं लेकिन कोरोना काल में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां के मायने लोगों को समझ आए भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में लोगों को आयुर्वेदिक जड़ी बूटी वाली पद्धति पर विश्वास जगा है

भारत से जड़ी बूटियां पूरे विश्व में निर्यात की जा रही है जड़ी बूटियां का पुरातन ज्ञान भारत की पहचान है स्कूलों में भी आयुर्वेद अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए ताकि हमारे आगे आने वाली पीढ़ी को भी इसका ज्ञान मिल सके जड़ी बूटियां आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखती है

आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां के नाम – गिलोय अश्वगंधा शतावरी  तुलसी 

गिलोय

गिलोय
गिलोय

 

ayurvedic jadibuti गिलोय:आयुर्वेद में गिलोय महत्वपूर्ण स्थान रखता है यह प्राचीन समय से उपयोग में आने वाली जड़ी बूटी है गिलोय का उपयोग इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए किया जाता है गिलोय से बहुत सारे हेल्थ लाभ भी मिलते हैं गिलोय इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है हिचकी को रोकने के लिए गिलोय का उपयोग किया जाता है कान की बीमारी जैसे कानों को क्लीन करने में भी गिलोय का उपयोग किया जाता है गिलोय की सेवन से कब्ज की समस्या

 

 

से भी निजात मिलती है कहा जाता है कि 10 से 15 मिली रस को गुड़ के साथ खाने से कब्ज की समस्या से राहत मिलती है पीलिया रोग के उपचार में भी गिलोय का उपयोग किया जाता है पुराने समय में कहां जाता था कि गिलोय के तने के टुकड़े की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग ठीक हो जाता था जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए भी गिलोय का उपयोग किया जाता है अस्थमा रोग को ठीक करने के लिए भी गिलोय का उपयोग किया जाता है

अश्वगंधा

अश्वगंधा
अश्वगंधा
आप लोगों ने अश्वगंधा का नाम तो सुना ही होगा यह एक प्रकार की जड़ी बूटी है जो प्राचीन काल से उपयोग होते आ रही है आयुर्वेद में अश्वगंधा को शक्ति के रूप में उपयोग किया जाता है यह जड़ी बूटी शरीर को मजबूती प्रदान करती है इसका उपयोग कई प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता हैअश्वगंधा दो प्रकार की होती हैछोटी अश्वगंधा- इसकी झाड़ी छोटी होती है पर इस अश्वगंधा की जड़ बड़ी होती है

यह अश्वगंधा राजस्थान के नागौर में पाई जाती है यह छोटी अश्वगंधा कहलाती हैबड़ी अश्वगंधा- इसकी झाड़ी बड़ी होती है पर इस अश्वगंधा की जड़ी छोटी होती है यह खेतों और पहाड़ों पर पाई जाती है इसे बड़ी या देसी अश्वगंधा भी कहा जाता हैअश्वगंधा के फायदे- अश्वगंधा का उपयोग तनाव को दूर करने के लिए किया जाता है

कोरोना में पता चला कि अश्वगंधा कितना फायदेमंद होता है डायबिटीज में भी अश्वगंधा के उपयोग से फायदा मिलता है जोड़ों के दर्द के लिए भी अश्वगंधा का उपयोग किया जाता है अश्वगंधा बाजार में पाउडर के रूप में और तेल के रूप में भी उपलब्ध है और यह रूट के रूप में भी उपलब्ध है इनफर्टिलिटी के उपचार में भी अश्वगंधा का उपयोग किया जाता है अश्वगंधा से फर्टिलिटी बूस्ट होती है स्पेशली मेल इनफर्टिलिटी के लिए अश्वगंधा पाउडर का उपयोग किया जाता है

 

शतावरी

शतावरी
शतावरी

इसे शतमूल भी कहा जाता है इससे अलग-अलग नाम से जाना जाता है शतावरी सुखी जड़ या पाउडर के रूप में यह बाजार में मिल जाता है कुछ स्थानों पर शतावरी की खेती भी की जाती है शतावर को औषधियों की रानी भी कहा जाता है इसका उपयोग हजारों सालों से रोगों के उपचार में किया जा रहा है वैसे तो शतावरी हिमालय के पथरीले क्षेत्र में पाई जाती है पर यह अपनी अनुकूलता के कारण मैदान और रेगिस्तान भागों में भी पाई जाती है

शतावरी की जड़ों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है इसकी जड़ गुच्छों में होती है जो लगभग सो के आसपास होते हैं इसलिए इसे शतावर कहा जाता है यह दिव्य औषधीय पौधा है शतावर का उपयोग शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है जिन लोगों को नींद ना आने की समस्या होती है उनके लिए भी शतावर उपयोगी होती है रतौंधी रोग में भी शतावरी फायदेमंद होती है

 

tulsi
तुलसी

आयुर्वेदिक जड़ी बूटी

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